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Dhanteras 

Title of the document भगवान धन्वंतरी, माँ लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा से अपार धन एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी, माँ लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा से अपार धन एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति 

 

धनतेरस पूजा

धनतेरस पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त – 2023 मे धनतेरस कब मनया जाएगा  

2023 मे धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा, शुभ मुहूर्त प्रदोष कल मे शाम 6 बजकर 2 मिनट से रात्री 8 बजे तक है। 

धनतेरस कब ओर  क्यो  मनाया जाता हैॽ

 धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन मनाया जाता है।  यह दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस त्योहार को सुख ओर समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार बाजार से नई वस्तुए खरीदना शुभ माना  जाता है। लोग सोने चांदी के आभूषण, नए बर्तन, वाहन आदि खरीदते है ।
इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी व धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती  है। उत्तर दिशा के आधिपति  भी कुबेर है । इनके अतिरिक्त आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरी  का जन्म भी इसी दिन होने के कारण वैध समाज मे धनतेरस को धन्वंतरी  जयंती के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरी  जी की पूजा का भी विशेष विधान है।
      माँ लक्ष्मी व गणेश की चांदी की प्रतिमाओ को इस दिन घर मे लाना धन, सफलता व उन्नति को बढ़ाने वाला माना  जाता है। शास्त्रों मे उल्लेख है कि  समुन्द्र मंथन मे आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी  कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन विशेष रूप से बर्तनों की खरीदी की जाती है।

धनतेरस की पूजा विधि –

      धनतेरस  के दिन प्रदोष काल, शाय काल मे अर्थात संध्या के समय भगवान धन्वंतरी की मूर्ति या चित्र (भगवान विष्णु जी की मूर्ति या चित्र भी रख सकते है, क्यूकि धन्वंतरी विष्णु जी के अवतार है ) माँ लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी को  साफ स्थान मे चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर  स्थापित करे तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करे। चंदन, कुमकुम, अक्षत इत्यादि अर्पित कर भोग लगाए।  अब भगवान धन्वंतरी का आव्हान इन मंत्रों से करे।
। अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य। गूढं निगुढं ओषध्यरूपम्, धन्वंतरीमं च सततं प्राणममि नित्यं ।। 
अब भगवान को चंदन, अष्टगंध, कुमकुम अर्पित करे, अब भगवान को दूर्वा, पीले पुष्प व लाल पुष्प अर्पित करे।
भगवान को भोग के रूप  मे कृष्णा  तुलसी, गाय  के दूध या उनसे बना पकवान या दूध से बना मक्खन या अपने सामर्थ्य के अनुसार मिष्ठान का भोग लगा सकते है।
 13 दीपक जलाकर पूजा स्थान पर रखे।
माँ लक्ष्मी जी को अष्टगंध, रोली, कुमकुम लगा कर अक्षत और पुष्प अर्पित कर उनका ध्यान करे।  माँ का आवाहन करे। 
कुबेर जी की भी इसी तरह से पूजा करे।  अब कुबेर जी को निम्न मंत्र से ध्यान करे।
   । । यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतेय धन-धान्य समृद्धि मे देही दापय स्वाहा । ।
 मान्यता है की इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
धनतेरस पर निरोग काया  के लिए धन्वंतरी की पूजा की जाती है। इन्हे आयुर्वेद का जनक माना जाता  है। इस दिन प्रातः काल विष्णु सहस्त्र नाम का पठन या श्रवण स्वास्थ्य लाभ देता है। एसी मान्यता है की एंक पूजन करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और  वह पूरे जीवन निरोगी रहता है।

धनतेरस मे क्या क्या वस्तुए खरीदना शुभ होता है ॽ

      इस दिन नई झाड़ू, साबूत धनिया, बर्तन, चांदी व सोने से आभूषण व सिक्के आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा मे साबूत धनिया को चढ़ा कर अगले दिन उसे घर मे किसी गमले मे उगा  देना चाहिए इससे समृद्धि का आगमन होता है।
      पुरानी व नई झाड़ू की शाम के समय पूजा की जाती है, और  घर मे सुख समृद्धि की प्रार्थना  की जाती है।

धनतेरस मे यम के दीपक का विधान

      धनतेरस मे लक्ष्मी व कुबेर की पूजा के बाद यमराज जी के नाम से यम का दीपक भी जलाया जाता है। इस  दिन शाम के समय दक्षिण दिशा मे चार मुख वाले दिए मे तिल का तेल डालकर, दक्षिण की तरफ मुख कर  जलाना शुभ  माना जाता है। मान्यता यह है की इससे अकाल मृत्यु का भी खत्म होता है।  

धनतेरस मे कितने दिये जलाने चाहिए ॽ

      इस दिन 13 दिये घर के अंदर व 13 दिये घर के बाहर जलाने चाहिए।

 

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