आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

सोमवार के दिन पूजा कैसे करे – सोमवार के व्रत मे पूजा कैसे करे


सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है , इस दिन देवों के देव महादेव की विशेष पूजा करने और व्रत रखने का विधान है । मन्यताओ के अनुसार भगवान शंकर ऐसे देवता है जो जल्दी प्रसन्न हो जाते है तथा इनकी पूजा करना भी बहुत ही सरल है। शिव जी अपने भक्तों की सारी मनोकामना जल्दी पूरी करते है। जो साधक नियमित रूप से शिवलिंग मे जल चढ़ता है भोलेनाथ उसकी सारी मनोकामना पूरी करते है। 
सोमवार के व्रत मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
1. सामान्य सोमवार व्रत
2. सोम प्रदोष व्रत
3. सोलह सोमवार व्रत
उपरोक्त तीनों प्रकार के व्रत भगवान शंकर के लिए ही किए जाते हैं और इनकी विधि भी लगभग एक समान ही है। 
 

सोमवार पूजाविधि 

सोमवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान से पवित्र होकर सफेद,पीले या हल्के रंग के साफ वस्त्र पहनें। पूजा हेतु भगवान शिव के मंदिर जाएं या घर पर ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। 
सबसे पहले शिव जी का जल से अभिषेक करें और उसके बाद  बिना उबला हुआ दूध अर्पित करें। इसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। आप पंचामृत (दूध,दही,घी,शक्कर,शहद,) से भी स्नान करा सकते हैं। शिवलिंग मे चंदन, अष्टगंध का तिलक करे।  इसके बाद बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल व अन्य फूल, फल (शिव जी को केले का फल प्रिय है), आदि चढ़ाएं। शंकर जी के साथ साथ आप गणेश जी ओर देवी पार्वती जी की भी पूजा करे। माँ पार्वती को शृंगार की सामग्री भेट (चढ़ाए) करे। 
भगवान शंकर और माता पार्वती के मध्य गठबंधन करें और फिर भगवान को भोग लगाएँ। भोग मे चावल का खीर शिव जी को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है की माता पार्वती भगवान शिव जी के लिए खीर बनाती थी। इसके पश्चात शिव जी के मंत्रों का जाप करे    1.) ” ॐ नमः शिवाय “
दूर होगा अकाल मृत्यु का भय
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
इस मंत्र से होगी इच्छा पूरी
3. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
आर्थिक स्थिति होगी मजबूत
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अब शिव जी की  की चालीसा का पाठ करे, आप रुद्राष्टकम का भी पाठ कर सकते है। 
कोई साधक ज्यादा कुछ न करे तो भी यदि शिव रुद्रष्टकम का पाठ करे जो रामायण (रामचरितमानस) से लिया गया है , वह साधक शिव जी का कृपापत्र हो जाता है। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह रुद्राष्टकम बहुत प्रसिद्ध और तुरंत फल देने वाला है। इसका उल्लेख रामायण महापुरण मे है। –
त्वरित फलदाई है ‘श्री शिव रुद्राष्टकम’ स्तुति का पाठ-
श्री शिव रूद्राष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
 प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
 भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
 प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
 न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये। 
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। 
—♦
अब शिव जी आरती करे।  इसके अतिरिक्त तीनों में से जिस प्रकार का व्रत आप रख रहे हैं उस व्रत की कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए क्योंकि तीनों व्रतों की अलग-अलग कथा है। 
इस दिन मुख्य रूप से ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

सोमवार व्रत का महत्व (somvar vrat ka mahatva)

सोमवार के व्रत की बहुत महिमा बताई गई है। मान्यता है कि सोमवार के व्रत करने से न केवल भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि माता पार्वती भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा की वर्षा करती हैं। 
⇒ सोमवार का दिन ज्योतिषशास्त्र में चंद्र ग्रह को दिया गया है इस कारण सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और उससे संबंधित कष्टों का शमन भी होता है। 
⇒ मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए भी सोमवार का व्रत किए जाने का विधान है।
 ⇒ पुराणों के अनुसार, सोमवार के व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। 
⇒ सावन के सोमवार में व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय और सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इस व्रत को स्त्री-पुरुष दोनों रख सकते हैं।
⇒ सोमवार व्रत रखने से व्यक्ति की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भगवान शिव बहुत ही दयालु हैं, जो अपने भक्तों के छोटे से छोटे दुखों को दूर करते रहते हैं। इसलिए सोमवार व्रत को सभी पूरी श्रद्धा के साथ रखते हैं।
आप अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए 16 सोमवार या मनोकामना पूरी होने तक का सोमवार व्रत रख सकते हैं। सोमवार व्रत रखने से पहले आप जितने व्रत करने का संकल्प लेते हैं। उतने ही सोमवार को व्रत करें और जब आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाए तब सोमवार के व्रत का उद्यापन कर दें। 
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी व्रत का समय पूरा होने के बाद भगवान की जो अंतिम पूजा या व्रत होता है, उस व्रत को ही उद्यापन कहा जाता है। 
वैसे तो सोमवार का व्रत आप कभी भी उठा सकती हैं, लेकिन सोमवार के उद्यापन के लिए सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ या मार्गशीर्ष मास के सभी सोमवार श्रेष्ठ माने जाते हैं। व्रत उद्यापन में शिव-पार्वती जी की पूजा के साथ चंद्रमा की भी पूजा करने का विधान है। उद्यापन पूरे विधि विधान से किया जाना जरूरी है। उद्यापन के लिए आप किसी ब्राह्मण या पंडित जी को बुलवाकर विधि विधान से उद्यापन करवाए। 
 सोमवार व्रत रखने से पहले आप जितने व्रत करने का संकल्प लेते हैं. उतने ही सोमवार को व्रत करें और जब आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाए तब सोमवार के व्रत का उद्यापन कर दें. उद्यापन पूरे विधि विधान से किया जाना जरूरी है, तो चलिए बताते हैं उद्यापन की विधि और सामग्री.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top