आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

Shri Kamakhya Devi Ki Aarti 

Title of the document ॐ श्री कामाख्या देवी की आरती ॐ

आरती कामाख्या देवी की। जगत् उधारक सुर सेवी की

Aarti Kamakhya Devi Ki, Jagat udharak Sur Sevi Ki 

 

श्री कामाख्या देवी की आरती

 
आरती कामाख्या देवी की।जगत् उधारक सुर सेवी की ।।
आरती…..
 गावत वेद पुरान कहानी । योनि रूप हो तुम महारानी ।
सुर ब्रह्मदिक आदि बखानी। लहे दरस सब सुख लेवी की ।।
आरती….
 दक्ष सुता जगदम्ब भवानी। सदा शंभु अर्धंग विराजिनी ।
सकल जगत को तारण करनी। जय हो मातु सिद्धि देवी की ।।
आरती…. 
तीन नयन कर डमरू विराजे। टीको गोरोचन को साजे ।
तीनों लोक रूप से साजे । जय हो मातु लोक सेवी की ।।
आरती …. 
रक्त पुष्प कंठन वनमाला । केहरिवाहन खंग विशाला ।
मातु करे भक्तन प्रतिपाला। सकल असुर जीवन लेवी की ।।
आरती…. 
कहैं गोपाला मातु बलिहारी। जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी।
सब सत होय जो कह्यो विचारी। जय जय सबहिं करत देवी की।।
आरती…. 
आरती कामाख्या देवी की। जगत उधारक सुर सेवी की ॥

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