अक्षय तृतीया का पर्व हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीय के दिन कपास ( रुई ) , सेंधा नमक , मिट्टी का घड़ा मे से कोई भी वस्तु खरीदना भी शुभ माना जाता है, ऐसा करने से घर मे माँ लक्ष्मी का आगमन होता है।
अक्षय का अर्थ होता है, जिसका कभी क्षय न हो। मान्यताओं के अनुसार इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
जो साधक सच्चे भाव के साथ इस तिथि पर देवी माँ लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं और दान खरीदारी आदि कार्य करते हैं उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है, इसका मतलब यानी की इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त पर विचार नहीं करना पड़ता है। इस दिन सभी तरह के शादी, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन आदि कार्य करना शुभ होता है
अक्षय तृतीय की पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करे व साफ वस्त्र धारण करें।
इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
एक चौकी स्थापित कर उसमे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं, उस पर माँ लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। आप चाहे तो श्री यंत्र भी रख सकते है। किसी भी पूजा मे सर्वप्रथम भगवान प्रथमपूज्य गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसलिए गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करे। या आप पान के पत्ते मे सुपारी रख के गौरी-गणेश के रूप मे गणेश जी की पूजा प्रारंभ कर सकते है। आज के दिन लक्ष्मी माता के साथ कुबेर जी की भी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। चौकी मे कुबेर जी की मूर्ति या फोटो स्थापित कर सकते है।
पानी मे गंगाजल मिलाकर प्रतिमा को साफ करें।
घी की दीप प्रज्वलित करे।
अष्टगंध, रोली, कुमकुम व गोपी चंदन से तिलक करे।
भगवान श्री गणेश जी को दूर्वा, पीले व लाल पुष्प, माँ लक्ष्मी जी को कमल व लाल पुष्प और विष्णु जी को पीले पुष्पों की माला अर्पित करें। फल व श्री फल (नारियल) चढ़ाएं
मखाने की खीर और पंचामृत का भोग लगाएं।
वैदिक मंत्रों का जाप करें।
गणेश जी के मंत्र
⇒ ॐ गं गणपतये नमो नम:।
⇒ ॐ एकदन्ताय विद्महे। वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नो दंति प्रचोदयात। ॐ लम्बोदराये विद्महे। महोदराये धीमहि। तन्नो दंति प्रचोदयात।
श्री लक्ष्मी के मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महलक्षमये नमः।