आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

shree vishnu ji ki aarti 

Title of the document ॐ आरती ॐ

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

Jai Jagdish hare, Swami Jai Jagdish hare

 

श्री विष्णुजी की आरती

 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे I
 भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे।।ॐ।।
 जो ध्यावै फल पावै,दुःख विनसे मन काI
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटै तन का । । ॐ ।। 
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ।।ॐ।। 
तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तर्यामी I
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ।। ॐ ।। 
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ।। ॐ ।। 
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस बिधि मिलूँ दयामय! तुमको मैं कुमती ।। ॐ ।।
 दीनबन्धु दुःख हर्ता, तुम ठाकुर मेरे I
अपने हाथ बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे ।। ॐ ।। 
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा।।ॐ।। 
तन मन धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा I
 तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ।। ॐ ।।
 श्री जगदीश जी की आरति, जो कोइ जन गावे।
 कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावे ।।
 ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
 भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे ।। ॐ ।।

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