ॐ संकटा माता आरती ॐ

Sankata Mata aarti | संकटा माता आरती

Sankata Mata Aarti
संकटा माता आरती


जय जय जय संकटा भवानी, करहुँ आरती तेरी
Jai Jai Jai Sankata Bhawani, Karhu Aarti Teri

संकटा माता आरती

॥ आरती ॥

जय जय जय संकटा भवानी,करहुँ आरती तेरी ।। टेक ॥
 शरण पड़ा हूँ तेरी माता,अरज सुनहु अब मेरी ।। जय ।।

  नहिं कोउ तुम समान जगदाता,सुर नर मुनि सब तेरी ।
कष्ट निवारण करहु हमारा,लावहु तनिक न देरी ।। जय ।।

 काम-क्रोध अरु लोभन के वश, पापहिं कियो घनेरी ।
सो अपराध न उर में आनहु, छमहु भूल बहू मेरी ।। जय ।।

  हरहु सकल सन्ताप हृदय का,ममता मोह निबेरी ।
सिंहासन पर आप बिराजें, चँवर दुरै सिर छत्र-छतेरी ।। जय ।। 

खप्पर खड्ग हाथ में धारे, वह शोभा नहिं कहत बने री।
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये,हारि थके हिय हेरी ।। जय ।। 

असुरन्ह का बध तुमने कीन्हा,प्रकटेउ अमित दिलेरी।
सन्तन को सुख दियाँ सदा ही, टेर सुनत नहिं कियो उबेरी।। जय ।।

 गावत गुण गण नित ही तेरो,बजत दुन्दुभी भेरी ।
अस जिय जानि शरण में आयउँ,तव परताप सुनेऊँ बहुतेरी ।। जय ।। 

प्रेम सहित जो करै आरती,तेहि कर फल नहिं कहत बने री।
भव-बन्धन में सो नहिं आवै, ‘शिव’ नित ध्यान धरै री ।। जय ।।

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