आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

Shri Parshuram Aarti 

Title of the document ॐ श्री परशुरामजी की आरती ॐ

जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी

Jai Parshudhari, Swami Jai Parshudhari

 

श्री परशुराम जी की आरती

 
ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
 सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय…
जमदग्नी सुत नर सिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया ॥ ॐ जय…
 कांधे सूत्र जनेऊ, गल रूद्राक्ष माला। 
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला ॥ ॐ जय….
 ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी॥ॐ जय….
 मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना। 
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना॥ ॐ जय… 
कर शोभित वर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चाप-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल ज्ञाता॥ ॐ जय…. 
मात पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे। 
मेरी बिरद संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे॥ ॐ जय …. 
श्री परशुराम की आरती जो कोई गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे ॥ ॐ जय..
 
(इति)

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