ॐ माँ विन्ध्येश्वरी आरती ॐ

Maa Vindhyeshwari Aarti | माँ विन्ध्येश्वरी आरती

Maa Vindhyeshwari Aarti
माँ विन्ध्येश्वरी आरती


सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी
sun meri devi parvatwasini

माँ विन्ध्येश्वरी आरती

॥ आरती ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया ।।
कोई तेरा पार न पाया …

सुवा चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया ।
कोई तेरा पार न पाया …

नंगे पग माँ अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया ।
कोई तेरा पार न पाया …

उँचे पर्वत बन्यो देवालय,नीचे शहर बसाया ।
कोई तेरा पार न पाया…

सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये, कलयुग राज सवाया ।
कोई तेरा पार न पाया …

धूप दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया ।
कोई तेरा पार न पाया …

ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गाया, मनवांछित् फल पाया ।
कोई तेरा पार न पाया …

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया
कोई तेरा पार न पाया …

बोल सांचे दरबार की जय

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