आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

Shri Gayatri Ji Ki Aarti 

Title of the document ॐ श्री गायत्री जी की आरती ॐ

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता

Jayati Jai Gayatri Mata, Jayati Jai Gayatri Mata

 

श्री गायत्री जी की आरती

 
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता। 
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन कर्त्री ।
दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह दारिद्रय दैन्य हर्त्री ।। 
ब्रह्म रूपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे।
भवभयहारी जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे ।। 
भयहारिणि भवतारिणि अनघे, अज आनन्द राशी ।
अविकारी अघहारी अविचलित, अमले अविनाशी ।। 
कामधेनु सत् चित् आनन्दा, जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती शक्ति, तुम सावित्री सीता ।। 
ऋग् यजु साम अथर्व, प्रणयिनी प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्त्रार सुषुम्ना, शोभा गुण गरिमे ।। 
स्वाहा स्वधा शची,ब्रह्माणी राधा रुद्राणी।
जय सतरुपा वाणी, विद्या कमला कल्याणी ।।
 जननी हम हैं दीन हीन, दुःख दारिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल कपटी कपूत, तऊ बालक हैं तेरे ।। 
स्नेहसनी करुणामयि माता, चरण शरण दीजै ।
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै ।।
 काम क्रोध मद लोभ दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये ।। 
तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि पुष्टि त्राता ।
सत्मार्ग पर हमें चलाओ,जो हैं सुखदाता।
 जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।।
 
(इति)
 

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