आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

शनिवार के दिन पूजा करने के लाभ

शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है।
शनिवार के दिन शनि देव जी का व्रत विशेषकर शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू करना चाहिए- श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) का पहला शनिवार सर्वोत्तम माना जाता है और इसे 11 या 51 शनिवार तक करना चाहिए।

    शनिदेव जी का मंत्र –

* ॐ शं शनैश्चरायै नम:
*ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
* श्री नीलान्जन समाभासं, रवि पुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्ड सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम।।

शनिवार पूजाविधि –

शनिवार के दिन सुबह जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहने। आप चाहे तो इस दिन शनि देव जी का व्रत (उपवास) भी कर सकते है, व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से करे।  पूजा स्थल पर बैठ कर व्रत का संकल्प ले। लकड़ी के आसन मे शनि यंत्र की स्थापना करे, तिल या सरसों के तेल का दीप जलाए। अष्टगंध का तिलक करे और पुष्पहार चढ़ाए। फल मिठाई आदि का भोग लगाए। शनि देव की पूजा मे पूड़ी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाये और जब व्रत का पारण करे तो इसी प्रसाद को ग्रहण करे। भगवान शनि देव की स्तुति करे, शनि चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। अब शनि देव जी की आरती करे।
    शनि पूजन के बाद असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं। इससे भगवान शनि देव की अत्यंत कृपया प्राप्त होती है।

शनिवार पूजा एवं व्रत का महत्व 

*शनिवार के दिन पूजा व व्रत करने से जीवन मे चल रही बधाओ का निवारण होता है।
*किसी की कुंडली मे यदि शनि दोष या शनि की महादशा हो तो वह इसे दूर करने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव जी की पूजा कर सकता है।
*दुखों का अंत होता है।
*इससे आपके जीवन मे चल रही साढ़े साती और ढैय्या की दशा मे राहत मिल सकता है, दुखों का अंत तुरंत होना  प्रारंभ हो जाता ह।

भगवान शनि देव को प्रसन्न करने के उपाये

*मंत्रों का जाप कर सकते है।
*भगवान हनुमान जी की पूजा करके शनि देव को प्रसन्न कर सकते है।
*तिल या सरसों के तेल का दिया जला कर भगवान शनिदेव को प्रसन्न कर सकते है। 
* असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं। इससे भगवान शनि देव की अत्यंत कृपया प्राप्त होती है।
*इस दिन मास मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और व्यक्ति को नाखून, बाल इत्यादि नहीं काटने चाहिए।
 
    
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