वर्ष 2023 मे दिवाली का त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा। दिवाली का शुभ मुहूर्त 5:40 से 7:40 तक रहेगा।
कार्तिक मास की अमावश्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माँ लक्ष्मी क्षीरसागर से प्रकट हुई थी। इसकरण इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन घरों के हर कोने मे दीप जलाया जाता है। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए घरों को दीपक व फूलों से सजाया जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने घर अयोध्या वापस आए थे तब नगर के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था ओर अमावश्य के अंधकार को दूर किया था। इस कारण दीप जलाया जाता है।
दिवाली से पहले घरों की सफाई की जाती है। ओर घर को सजा कर माता का स्वागत किया जाता है।
दिवाली मे विशेष प्रकार के परंपरागत पकवान बनाने की परंपरा है।
दिवाली के दिन यदि हम विधि विधान से पूजन करते है तो हमारे जीवन मे सदा खुशहाली बनी रहती है।
दिवाली के एस विधि से पूजा कर माँ लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी को प्रसन्न करे।
दिवाली के दिन प्रातः स्नान कर घरों को सजा कर रंगोली बनाना चाहिए। संध्या कल मे शुभ मुहूर्त के अनुसार नए वस्त्र धरण कर अपने पूजा स्थल मे चौकी (आसान) मे लाल वस्त्र बिछा कर माँ लक्ष्मी, गणेश व कुबेर जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करे।
चौकी के बगल मे घर के गेहने, पैसे, बहीखते भी रख कर पूजा करनी चाहिए। गणेश जी की दाहिनी तरफ लक्ष्मी जी की स्थापना करे। पूजा स्थल मे गोमती चक्र, लक्ष्मी यंत्र भी स्थापित करे।
इस दिन 2 कलश रखे जाते है पहले कलश मे पानी भर कर उसपर आम पत्ता रख, चावल के उप्पर तेल व घी के दिये रखे और दूसरे कलश मे धान भरकर उसके उप्पर नारियल रखे। दीपक वाले कलश को बाए ओर और नारियल वाले कलश को दाई ओर रखे। 4.
अब गंगाजल का छिड़काओ कर दीप जलाए, इसके अतिरिक्त 5 या 11 घी के दीपक जलाए। सर्वप्रथम गणेश जी को अष्टगंध, कुमकुम,अक्षत लगाए। लाल, पीले पुष्प चढ़ाए। गणेश जी का आवाहन करे- ॐ गं गणपातेय नम:।। गणेश जी को मुख्य रूप से दूर्वा, मोदक या लड्डू भोग लगाए। 5.
अब क्रमशः माँ लक्ष्मी और कुबेर जी को चंदन, अष्टगंध, कुमकुम लगाए। माँ को लाल चुनरी ओढ़ाये। अक्षत ( पीले चावल ) व मौली अर्पित करे। पूजा मे पान, सुपारी, हल्दीगाठ, पुंगी फल ( लोंग, इलाईची ) ॐ महा लक्ष्मी दैव्ये नमः मंत्र उचारण करते हुए समर्पित करे। अब पीले व लाल पुष्प, पुष्प अर्पित करे।
नारियल, पंचमेवा, मिठाई, पंचामृत (मीठी दही जिसमे 5 प्रकार के ड्राइफ्रूट डले हो), घर के बनाए हुए पकवान, बतासे, पेठा, लाई आदि का भोग लगाए। (माँ लक्ष्मी को दिवाली के दिन मुख्य रूप से बतासे व पेठा चढ़ाया जाता है) लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी, गणेश व कुबेर मंत्र का उचारण कर आरती करे।
आरती के बाद भोग को परिवार मे वितरण करे। सब मिलकर अन्न ग्रहण करे।
इस दिन घर के जेवर, बहीखाते व धन संबंधित वस्तुओ की पूजा की जाती है। ऐसा करने से घर मे माँ लक्ष्मी का वास होता है और धन की काभी कमी नहीं होती।
दिवाली के दिन पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन स्वच्छ मन से पूजन करने से जीवन मे खुशहाली बनी रहती है। इस दिन धान की देवी कप प्रसन्न करने से समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जो लोग इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करते है उनकी समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है और जीवन मे धान और एश्र्वर्य की काभी कमी नहीं होती है।