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Shri Narsinha Ji Ki Chalisa 

Title of the document ॐ चालीसा ॐ

नरसिंह चालीसा

Narsinha Chalisa

 

श्री नरसिंह चालीसा

।। दोहा ।।

बैसाख मास कृतिका युत हर लिया महि को भार ।
शुक्ल चतुर्दशी भौम दिन लिया नरसिंह अवतार।।
धन्य तुम्हारो सिंह रूप धन्य तुम्हारो नाम।
तुम्हरे सुमरन से हरि पूरन हों सब काम ।।

 

।। चौपाई ।। 

नरसिंह देव मैं सुमिरों तोही ।
 धन बल विद्या दान दे मोही ।।
 जय जय जय नरसिंह कृपाला।
 सदा करो भक्तन प्रतिपाला ।।
विष्णु के अवतार दयाला।
 महाकाल कालन को काला ।।
 अनेक तुम्हारो बखाना।
 मन्द बुद्धि मैं ना कछु जाना ।।
नाम हिरणाकुश नृप अति अभिमानी ।
तेहि के भार महि अकुलानी ।।
 हिरणाकुश कयाधू के जाये ।
 नाम भक्त प्रहलाद कहाये ।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुजदण्डा।
 अग्निदाह किया परचण्डा ।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा।
 दुष्टदलन हरण महि भारा ।।
तुम भक्तन के सदा प्यारे ।
 प्रहलाद भक्त के प्राण उबारे ।।
 प्रकट भये तुम तुम फाड़कर खंभा ।
सभी दुष्ट दल किये अचंभा ।।
भक्त बना विष्णु को दासा ।
 नृप कियो मारन प्रयासा ।।
 खड्ग जिह्वा तनु सुंदर साजा।
ऊर्ध्वकेश महाद्रष्ट्र विराजा ।।
दीप्त स्वर्णमय बदन तुम्हारा ।
 को वरने तुम्हरो विस्तारा ।।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला।
 नख जिह्वा है अति विकराला ।।
स्वर्ण मुकुट मस्तक पर भारी।
 कानन कुण्डल की छवि न्यारी ।।
 भक्त प्रहलाद को तुहिं उबारा।
हिरणाकुश नृप क्षण मँह मारा ।।
ब्रह्मा, विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।
 इंद्र सुरेश सदा मन लावें ।।
 वेद पुराण तुम्हरो यश गावें।
 शेष शारदा पार न पावें ।।
 जो नर धरे तुम्हारा ध्याना।
 वाको होय सदा कल्याणा ।।
 त्राहि-त्राहि प्रबु कष्ट निवारो।
 भव बन्धन प्रभु आप ही टारो ।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा। 
 दुःख व्याधि का हो निस्तारा ।।
 पुत्रहीन जो जाप करावै।
 मनवांछित सुत सो नर पावै।।
 बन्ध्या नारी सुपुत्र को पावे।
 दरिद्र पुरुष धनी होई जावे ।।
जो नरसिंह को जाप करावे ।
 ताही विपत्ति सुपने नहिं आवे ।।
 सकल कामना करे मन माहीं।
 सो जब निश्चय सिद्ध हुई जाहीं ।।
जीवन में कछु संकट होई।
 निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।
 रोग ग्रसित ध्यावे जो कोई। 
 रोग तुरंत दूर हुई जाई ।।
डाकिनी शकिनी प्रेत बेताला ।
 ग्रह व्याधि अरू यम विकराला ।।
 प्रेत पिशाच सबै भय खायें।
 यम के दूत निकट नहीं आवें।।
 सुमर नाम दुविधा सब भागे।
 रोग शोक कबहुँ नहीं लागे ।।
जाको नजर दोष जाई ।
 सो नरसिंह चालीसा गाई ।।
 हटे नजर होवे कल्याना ।
 वचन सत्य साक्षी भगवाना ।।
 जो नर ध्यान तुम्हारो लावे।
 सो नर मन वांछित फल पावे ।।
बनवाये जो मंदिर ज्ञानी।
 हो जावे वह नर जग मानी ।।
 नित प्रति पाठ करे इक बारा ।
 सो नर बने तुम्हारा प्यारा ।।
 नरसिंह चालीसा जो जन गावे ।
 दुःख दारिद ताके निकट न आवे ।।
 चालीसा जो नर पढ़े पढ़ावे ।
 सो नर जग में सब सुख पावे ।।
 यह श्री नरसिंह चालीसा। 
 पढ़े रंक होवे अवनीशा ।।
 जो ध्यावे सो नर सुख पावे।
 तोहि विमुख बहु दुःख उठावे ।।
‘पालीवाला’ है शरण तुम्हारी।
 हरो नाथ सब विपत्ति हमारी ।।
 

॥ दोहा ॥

चारों युग गायें तेरी महिमा अपरम्पार ।
निज भक्तन के लाभ हित लियो प्रभु अवतार। 
नरसिंह चालीसा जो पढ़े श्रद्धा से शत बार । 
उसे सदा आनन्द रहे वैभव बढ़े अपार ।।

 

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