भगवान विष्णु को केसे प्रसन्न करे
हिन्दू धर्म में गुरुवार व्रत
भगवान बृहस्पतिदेव तथा जगत पालक श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। कई स्थानों पर इस दिन बृहस्पतिदेव स्वरुप पवित्र पेड़ केले की भी पूजा की जाती है।
गुरुवार पूजा व व्रत का महत्व
पुराणों के अनुसार इच्छित फल, विद्या, पुत्र, धन – धान्य आदि की प्राप्ति के लिए गुरुवार व्रत किया जाता है। गुरुवार का व्रत पूरे विधि – विधान के साथ करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तथा यह हर स्त्री – पुरुष के लिए सामान्य रूप से फलदायी है। जो स्त्रिया गुरुवार का व्रत करती है उसके पति को लाभ प्राप्त होता है
गुरुवार के व्रत की पूजा विधि
गुरुवार के दिन स्त्री – पुरुष को सूर्योदय से पूर्व उठे तत्पश्चात नित्य क्रिया से निवृत्ति होकर स्नान करने के बाद गुरुवार व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए तथा बृहस्पतिदेव विष्णुजी आपकी इच्छओं को पूर्ण करेंगें ऐसे दृढ़ विश्वास के साथ बृहस्पतिवार की यथाविधि पूजा करनी चाहिए ।
विष्णु भगवान (बृहस्पति भगवान) की पूजा (व्रत) पीले वस्त्र धारण करके ही करना चाहिए
पूजा स्थल मे चौकी रखे उसपर पीले रंग का कपड़ा बिछा कर विष्णु जी की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करे साथ मे माँ लक्ष्मी जी की भी स्थापना करे। अब मूर्ति को जल व दूध से स्नान कराए, भगवान के समक्ष घी का दीप प्रज्वलित करे। भगवान जी को चंदन, अष्टगंध व कुमकुम लगाए। पान-सुपड़ी चढ़ाए, अब पीले व लाल पुष्प अर्पित करे, पीले फल का भोग लगाए, पीली चावल (अक्षत) अर्पित करे। विष्णु जी की मंत्रों का जाप करे।
श्री विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥श्री विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥मंगल श्री विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥विष्णु शान्ताकारं मंत्र
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥