आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

Shri Vishwakarma Ji Ki Aarti 

Title of the document ॐ श्री विश्वकर्माजी की आरती ॐ

ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा

Om Jai Shri Vishwakarma, Prabhu Jai Shri Vishwakarma

 

श्री विश्वकर्माजी की आरती

 
ॐ जय श्री विश्वकर्मा,  प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ।। 1 ।।
ॐ जय… 
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया।। 2।।
 ॐ जय….. 
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्ध आई ।। 3 ।।
ॐ जय… 
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बन कर दूर दुःख कीना ।। 4 ।।
ॐ जय…
 जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ।। 5 ।।
ॐ जय….
 एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।
द्विभुज, चतुर्भुज, दसभुज, सकल रूप साजे ।। 6 ।।
ॐ जय … 
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जाये, अटल शांति पावे ।। 7 ।।
ॐ जय …
 श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई जन गावे ।।
कहत गजानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ।। 8 ।।
ॐ जय….
 

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