एक छोटा सा गाँव था, जहां एक छोटा सा लड़का रहता था। उसका नाम जय था। जय का परिवार बहुत ही गरीब था, लेकिन उसने हमेशा उम्मीद और पॉजिटिविटी में रहकर अपने सपनों का पीछा किया।
जय का एक सपना था – एक अच्छी सी किताब लिखना। लेकिन उसके पास लिखने के लिए समय नहीं था, क्योंकि वह दिन भर किसी बड़े शहर में काम करता था। उसने अपने सपने को छुपा नहीं, बल्कि हर दिन एक छोटा सा कदम उठाया उसके सपने के नजदीक जाने के लिए।
हर दिन, जय अपने काम के बाद कुछ समय लिखने में लगाता। कभी भी छुट्टी या दिन में एक घंटे का समय निकाल लेता। उसने अपने सपने को जीने का तरीका ढूंढ़ लिया।
धीरे-धीरे, उसके कुछ लिखे हुए किस्से लोगों को पसंद आने लगे। एक दिन, एक बड़े पब्लिशर ने उससे कॉन्टैक्ट किया और उसकी किताब को पब्लिश करने की बात की। जय का सपना पूरा हुआ!
इस कहानी से हमारी सबसे बड़ी सीख है कि छोटे कदम भी बड़े सपनों को हक़ीक़त में बदल सकते हैं। जय ने कभी हार नहीं मानी, और उसने अपने सपनों के लिए मेहनत की।