आरती-भजन-मंत्र-चालीसा

Maa vindhyeshwari ki aarti

Title of the document ॐ मातारानी की कृपा सब पर बनी रहे ॐ

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी

sun meri devi parvatwasini


सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया I
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया II
कोई तेरा पार न पाया …
सुवा चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया I
कोई तेरा पार न पाया …
नंगे पग माँ अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया I
कोई तेरा पार न पाया …
उँचे पर्वत बन्यो देवालय,नीचे शहर बसायाI
कोई तेरा पार न पाया …
सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये, कलयुग राज सवाया I
कोई तेरा पार न पाया …
धूप दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया I
कोई तेरा पार न पाया …
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गाया, मनवांछित् फल पाया I
कोई तेरा पार न पाया …
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया I
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया II
कोई तेरा पार न पाया …

बोल सांचे दरबार की जय

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